हाल-ए-जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट : एडीसी (यूडी) के दफ्तर पर लटकी नीलामी की तलवार
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अदालत की नहीं कोई परवाह, लगातार बरत रहे लापरवाही
1 करोड़ 93 लाख की रिकवरी में दफ्तर अटैच करने के जारी हुए आदेश
जालंधर, 18 सितंबर : जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट (JIT) एक बार फिर से सुर्खियों में है। लंबे समय से विवादों, भ्रष्टाचार के आरोपों और फ्लॉप स्कीमों की वजह से सुर्खियों में रहने वाला यह दफ्तर अब अदालत के शिकंजे में फंस चुका है। 1 करोड़ 93 लाख रुपये की रिकवरी न करने पर अदालत ने एडीसी (यूडी) के मास्टर तारा सिंह नगर स्थित दफ्तर (प्लाट नंबर 227-228) को अटैच करने के आदेश जारी कर दिए हैं। यह फैसला ट्रस्ट की वर्षों से चली आ रही लापरवाही और ढीली पैरवी की एक और मिसाल है। जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट का ताजा मामला सिर्फ एक रिकवरी का नहीं, बल्कि वर्षों से चली आ रही लापरवाही, भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी का आईना है। अदालत के आदेशों को ताक पर रखकर काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारी न सिर्फ जनता का नुकसान कर रहे हैं, बल्कि सरकार की साख और प्रशासनिक छवि को भी दागदार बना रहे हैं। अब देखना यह होगा कि क्या सरकार वाकई जिम्मेदारों पर कड़ा एक्शन लेगी, या फिर यह मामला भी बाकी फाइलों की तरह धूल फांकता रह जाएगा और भुक्तभोगियों की झोली हमेशा की तरह खाली की खाली रह जाएगी।
हज़ारों करोड़ के घोटाले से लेकर फ्लॉप स्कीमों तक की क्या है कहानी ?
जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट का नाम भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के लिए किसी परिचय का मोहताज नहीं है। लगभग 2 हज़ार करोड़ रुपये के कथित घोटाले का आरोप इस ट्रस्ट पर पहले ही लग चुका है। 500 करोड़ रुपये के घोटाले की लिखित शिकायतें बाकायदा दर्ज हुई हैं। कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के मामले न सिर्फ उजागर हुए, बल्कि कुछ पर तो FIR भी दर्ज हुई। इसके बावजूद सरकार और प्रशासन की तरफ से कभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ट्रस्ट की स्कीमें फेल होती गईं और अलॉटियों की गाढ़ी कमाई बर्बाद होती रही। सैकड़ों अलॉटियों का करोड़ों रुपया अब तक अटका पड़ा है। शहर के बीचों-बीच बने गुरु गोबिंद सिंह स्टेडियम और खुद ट्रस्ट का दफ्तर कई बार नीलामी की तलवार से बचते-बचते बचे। लेकिन नतीजा हर बार वही ढिलाई, टालमटोल और प्रभावितों के हाथ खाली।
अदालत के आदेशों की कैसे उड़ाई धज्जियां ?
ताजा मामला 2012 का है। जमीन अधिग्रहण के पैसे लेने के लिए एक व्यक्ति पिछले 13 सालों से अदालत और दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। 2022 में उसने एग्जीक्यूशन केस दायर किया और 2023 में अदालत ने साफ आदेश दिए कि ट्रस्ट इस मामले की जल्द से जल्द पैरवी करे। फरवरी 2023 में भी अदालत ने आदेश जारी किए, लेकिन नतीजा शून्य। न तो ट्रस्ट ने अदालत में गंभीरता से पैरवी की, न ही आदेशों की पालना। अंततः अदालत ने सख्ती दिखाते हुए एडीसी (यूडी) के दफ्तर को नीलामी की प्रक्रिया में डाल दिया। अब यह दफ्तर ही अदालत के आदेशों के तहत कभी भी कुर्की की जद में आ सकता है।
डीसी की फटकार, ईओ को नोटिस
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जालंधर के डिप्टी कमिश्नर डॉ. हिमांशु अग्रवाल ने इस पूरे मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए संबधित अधिकारियों और कर्मचारियों को जमकर फटकार लगाई है। एडीसी (शहरी विकास) की तरफ से भी गत दिवस ही ईओ, जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट को पत्र लिखकर आदेश दिया गया है कि अदालत में जाकर मामले की सही तरीके से पैरवी की जाए। लेकिन यह सवाल अब भी जस का तस है कि जब बार-बार अदालत फटकार लगाती है, आदेश जारी करती है, तब भी जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी कान पर जूं तक क्यों नहीं रेंगने देते ?
जनता का टूट रहा भरोसा, सरकार की साख भी लगी दांव पर
यह स्थिति सिर्फ ट्रस्ट की विफलता नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे की नाकामी है। करोड़ों रुपये का बकाया होने के बावजूद अलॉटियों को आज तक इंसाफ नहीं मिला। ऊपर से अदालत में बार-बार की किरकिरी ने सरकार की साख को गहरा नुकसान पहुंचाया है। लोग पूछ रहे हैं कि क्या कारण है कि आज तक किसी चेयरमैन, ईओ या बड़े अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हुई ? क्यों भ्रष्टाचार और लापरवाही की जिम्मेदारी तय नहीं की गई ?
आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है जनता की इस नाराज़गी का असर
ऐसे मामलों का असर सीधा राजनीति पर पड़ना तय है। जनता की गाढ़ी कमाई लुट गई, न्याय के लिए अदालतों के दरवाजे खटखटाने के बावजूद सालों तक राहत नहीं मिली। नतीजा यह है कि सरकार पर अविश्वास बढ़ रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी चुनावों में यह गुस्सा सरकार को भारी पड़ सकता है।
मुझे मामले की नहीं जानकारी, लीगल टीम से बनकर करवाऊंगा बनती कारवाई – चेयरमैन
चेयरमैन रमणीक रंधावा (लक्की) से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि फिल्हाल यह मामला उनके ध्यान में नहीं है। क्योंकि हाल ही में उन्होंने बतौर चेयरमैन कार्यभार संभाला है। मगर मामले की गंभीरता को देखते हुए वह तुरंत ट्रस्ट की लीगल टीम के साथ मीटिंग करके इसकी पूरी जानकारी लूंगा और जो भी बनती कारवाई होगी वह करवाई जाएगी।

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